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जिंदगी

       जिंदगी जिंदगी फूल- सी है, कुदरत की गोद में खिलती है, मुस्कराती है, खुशबू से फिजा को महकाती है, और एक दिन बिखरकर, बसुन्धरा की ग...

स्वच्छता प्रहरी(इसे एक बार जरूर पढ़ें)

स्वच्छता प्रहरी
कौआ कुरूप है,
कौआ कर्कश है,
कौआ गंदगी में चोंच मारता है , बेशक,
किन्तु वह कुदरत का, सच्चा,
स्वच्छता प्रहरी है,
किसी के घर के मुँडेर में बैठा,
डाकिया है,
जो किसी पाहुन के आने का ,
सन्देश दे रहा है।
आज वह अपना अस्तित्व  को
तलाशते,
कभी- कभार दिख जाता है,
चुपके से कह जाता है,
अपने परिवेश को बचाओ,
आज मैं बेचैन हूँ,
कल तुम्हारी बारी है।

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