तर्क
"ढाई आखर तर्क का वरै सो वर होय।"
'तर्क' ढाई अक्षर का यह शब्द भी कमाल का है। सच को झूठ बनाना हो या झूठ को सच, बस, इसका वरण करना होगा। शेष काम अपने आप लोग पूरा कर देंगे।
एक मिसाल प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह सर्व विदित है , पटाकों से निकला धुँआ मानव जाति के लिए हानिकारक है, क्योंकि इसमें कई जहरीली गैसे जैसे कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन डाई आक्साइड आदि होती हैं। यह संपूर्ण वायुमंडल को दूषित कर देती है। यह दमा और हृदय के रोगियो के लिए प्राण घातक है। अब, यह एक तर्क हुआ।
दूसरे तर्क का नमूना देखिए, एक दिन के पटाका फोड़ने से कौन पहाड़ टूट जाएगा। प्रतिदिन मोटर गाड़ियों , फैक्ट्रियों से इससे अधिक धुआँ वायुमंडल में छोड़ा जा रहा है। उससे तो किसी के पेट में दर्द नहीं होता। दीवाली में बच्चे दो-चार पटाके क्या फोड़ लिए, पर्यावरण के कथित रक्षक आसमान को सर में उठा लेते हैं। बेशक , इस तर्क में भी दम है।
इस प्रकार इन दोनों तर्कों के बीच लोग दो खेमों में बट जाते हैं । असल मुद्दा तर्क के भँवर में फसकर टकटकी लगाए , लोगों की ओर आशा के दीप जलाए , अपने और मानव जाति के अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहता है।
अंततः तर्क के आसुरी अट्टहास और सुरी ठहाकों के शोर में मुद्दा अपना वजूद खो देता है।
"ढाई आखर तर्क का वरै सो वर होय।"
'तर्क' ढाई अक्षर का यह शब्द भी कमाल का है। सच को झूठ बनाना हो या झूठ को सच, बस, इसका वरण करना होगा। शेष काम अपने आप लोग पूरा कर देंगे।
एक मिसाल प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह सर्व विदित है , पटाकों से निकला धुँआ मानव जाति के लिए हानिकारक है, क्योंकि इसमें कई जहरीली गैसे जैसे कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन डाई आक्साइड आदि होती हैं। यह संपूर्ण वायुमंडल को दूषित कर देती है। यह दमा और हृदय के रोगियो के लिए प्राण घातक है। अब, यह एक तर्क हुआ।
दूसरे तर्क का नमूना देखिए, एक दिन के पटाका फोड़ने से कौन पहाड़ टूट जाएगा। प्रतिदिन मोटर गाड़ियों , फैक्ट्रियों से इससे अधिक धुआँ वायुमंडल में छोड़ा जा रहा है। उससे तो किसी के पेट में दर्द नहीं होता। दीवाली में बच्चे दो-चार पटाके क्या फोड़ लिए, पर्यावरण के कथित रक्षक आसमान को सर में उठा लेते हैं। बेशक , इस तर्क में भी दम है।
इस प्रकार इन दोनों तर्कों के बीच लोग दो खेमों में बट जाते हैं । असल मुद्दा तर्क के भँवर में फसकर टकटकी लगाए , लोगों की ओर आशा के दीप जलाए , अपने और मानव जाति के अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहता है।
अंततः तर्क के आसुरी अट्टहास और सुरी ठहाकों के शोर में मुद्दा अपना वजूद खो देता है।
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