प्रार्थना 1
दे दे मेरे अधरों को ज्ञान स्वर
दे दे मेरे अधरों को ज्ञान स्वर,
यही मांगते हम तुमसे वर।
निर्मल विचारों की सृष्टि दे,
व्यवहार विद्या की वृष्टि दे,
पहचान लूँ अपने को मैं,
ऐसी सूक्ष्म दृष्टि दे।
चलूँ सत्य न्याय के मार्ग पर,
यही मांगते हम तुमसे वर।।
दे दे मेरे अधरों ..............।।
मरुस्थल में हों या मधुबन में हों,
मन किन्तु अनुशासन में हो।
प्रतिबिम्ब हर आदर्श का,
इस छोटे से जीवन में हो।
सत्य की हो मेरी डगर,
यही मांगते हम तुमसे वर।
दे दे मेरे अधरों ..............।।
रहे बाती जैसा ये तन मेरा,
रहे तेल जैसा ये मन मेरा,
जलूँ और जग को प्रकाश दूँ,
दिए जैसा हो जीवन मेरा ।
बलिदान की हो मेरी डगर,
यही मांगते हम तुमसे वर ।।
दे दे मेरे अधरों को ज्ञान स्वर,
यही मांगते हम तुमसे वर।।
प्रार्थना 2
हे प्रभु आनन्द दाता
हे प्रभु आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए ,
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए ,
लीजिए हमको शरण में , हम सदाचारी बनें,
ब्रम्हचारी धर्म -रक्षक वीर व्रत धारी बनें ॥
(पं. रामनरेश त्रिपाठी)
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमजोर हो ना,
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे,
भूलकर भी कोई भूल हो ना.....
हर तरफ जुल्म है बेबसी है,
सहमा-सहमा-सा हर आदमी है,
पाप का बोझ बढ़ता ही जाये,
जाने कैसे ये धरती थमी है,
बोझ ममता का तू ये उठा ले,
तेरी रचना का ये अंत हो ना..
हम चलें......
दूर अज्ञान को हों अँधेरे,
तू हमें ज्ञान की रोशनी दे,
हर बुराई से बचके रहे हम,
जितनी भी दे, भली जिंदगी दे,
बैर हो ना किसी का किसी से,
भावना मन में बदले की हो ना..
हम चलें.....
हम न सोंचें हमें क्या मिला है,
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण,
फूल खुशियों के बाँटे सभी को,
सब का जीवन ही बन जाए मधुबन,
अपनी करुणा को जब तू बहा दे,
करदे पावन हर इक मन का कोना..
हम चलें.....
हम अँधेरे में हैं रोशनी दे,
खो ना दें खुद को ही दुश्मनी से,
हम सजा पाएँ अपने किए की,
मौत भी हो तो सह लें खुशी से,
कल जो गुजरा है फिर से ना गुजरे,
आनेवाला वो कल ऐसा हो ना...
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे,
भूलकर भी कोई भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमजोर हो ना....
जय मातु जय जगदीश्वरी
जय मातु जय जगदीश्वरी,
जय आदि ज्योति सरस्वती।
कमला समान स्वरूप धारी,
हंस वाहन भगवती।।
माता तुम्हारी गोद में,
हम शीश रखते हैं सदा।
हम बालकों पर कर अनुग्रह,
बुध्दि दे माँ सर्वदा।।
प्रार्थना है मातु वाणी,
शुद्ध वाणी को करो।
तेज से अपने हमारे,
लघु हृदय का तम हरो।।
दे शुभाशीर्वाद माता,
विघ्न बाधाएं हरो।
सुत जानकर अपने हमारी,
पूर्ण आशाएं करो।।
हममें बढ़े सद्भावनाएँ,
हम सदा चारी बनें।
सच्चे पुजारी मातृ भू के,
वीर व्रत धारी बने।
जय मातु जय जगदीश्वरी,
जय आदि ज्योति सरस्वती।।
प्रार्थना 5
वह शक्ति हमें दो दयानिधे!
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफल बना जावें।।
हम दींन, दुखी, निबलों, बिकलों
के सेवक बन संताप हरें।
जो हैं अटके, भूले-भटके
उनको तारें, खुद तर जावें।
छल,दंभ, द्वेष, पाखण्ड, झूठ,
अन्याय से निश दिन दूर रहें।
जीवन ही शुध्द,सरल अपना,
शुचि,प्रेम सुधा बरसावें।
निज आन-मान, मर्यादा का
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश जाती में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जावें।
वह शक्ति हमें दो दया निधे,
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें,
पर सेवा पर उपकार में
हम निज जीवन सफल बना जावें।।
हर पल हर दिन गुरूजी मेरे साथ आते हैं ।
जब कोई --------
मेरी नइया चलती है, पतवार नहीं चलती --2
किसी और की अब मुझको दरकार नहीं होती --2
मैं डरता नहीं जग से गुरु साथ आते हैं ,
हर पल हर दिन गुरूजी साथ आते हैं ।
कोई याद करे इनको दुःख हल्का हो जाये ,
कोई भक्ति करे इनकी ये उनके हो जाएँ ,
ये बिन बोले सबकुछ पहचान जाते हैं ।
हर पल ---------
ये इतने बड़े होकर सबसे हैं प्यार करें ,
भक्तों के दुःख पल में स्वीकार करें
हर भक्तों का कहना ये मान जाते हैं ।
हर पल हर -------------
प्रार्थना 7
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें।
दूसरों की जय से पहले,खुद को जय करे।
मुश्किल पड़े तो हम पर इतना करम कर,
साथ दें तो धर्म का चलें तो धरम पर।
इतना हौसला रहे सच को कदम बढ़ें।
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें।
भेदभाव अपने दिल से साफ कर सकें,
दूसरों से भूल हो तो माफ़ कर सकें।
इतना हौसला रहे बदी से हम बचें।
दूसरों की जय से पहले,खुद को जय करेँ।
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें।
(पं. रामनरेश त्रिपाठी)
प्रार्थना 3
इतनी शक्ति हमें देना दाताइतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमजोर हो ना,
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे,
भूलकर भी कोई भूल हो ना.....
हर तरफ जुल्म है बेबसी है,
सहमा-सहमा-सा हर आदमी है,
पाप का बोझ बढ़ता ही जाये,
जाने कैसे ये धरती थमी है,
बोझ ममता का तू ये उठा ले,
तेरी रचना का ये अंत हो ना..
हम चलें......
दूर अज्ञान को हों अँधेरे,
तू हमें ज्ञान की रोशनी दे,
हर बुराई से बचके रहे हम,
जितनी भी दे, भली जिंदगी दे,
बैर हो ना किसी का किसी से,
भावना मन में बदले की हो ना..
हम चलें.....
हम न सोंचें हमें क्या मिला है,
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण,
फूल खुशियों के बाँटे सभी को,
सब का जीवन ही बन जाए मधुबन,
अपनी करुणा को जब तू बहा दे,
करदे पावन हर इक मन का कोना..
हम चलें.....
हम अँधेरे में हैं रोशनी दे,
खो ना दें खुद को ही दुश्मनी से,
हम सजा पाएँ अपने किए की,
मौत भी हो तो सह लें खुशी से,
कल जो गुजरा है फिर से ना गुजरे,
आनेवाला वो कल ऐसा हो ना...
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे,
भूलकर भी कोई भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमजोर हो ना....
प्रार्थना 4
जय मातु जय जगदीश्वरी
जय मातु जय जगदीश्वरी,
जय आदि ज्योति सरस्वती।
कमला समान स्वरूप धारी,
हंस वाहन भगवती।।
माता तुम्हारी गोद में,
हम शीश रखते हैं सदा।
हम बालकों पर कर अनुग्रह,
बुध्दि दे माँ सर्वदा।।
प्रार्थना है मातु वाणी,
शुद्ध वाणी को करो।
तेज से अपने हमारे,
लघु हृदय का तम हरो।।
दे शुभाशीर्वाद माता,
विघ्न बाधाएं हरो।
सुत जानकर अपने हमारी,
पूर्ण आशाएं करो।।
हममें बढ़े सद्भावनाएँ,
हम सदा चारी बनें।
सच्चे पुजारी मातृ भू के,
वीर व्रत धारी बने।
जय मातु जय जगदीश्वरी,
जय आदि ज्योति सरस्वती।।
प्रार्थना 5
वह शक्ति हमें दो दयानिधे!
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफल बना जावें।।
हम दींन, दुखी, निबलों, बिकलों
के सेवक बन संताप हरें।
जो हैं अटके, भूले-भटके
उनको तारें, खुद तर जावें।
छल,दंभ, द्वेष, पाखण्ड, झूठ,
अन्याय से निश दिन दूर रहें।
जीवन ही शुध्द,सरल अपना,
शुचि,प्रेम सुधा बरसावें।
निज आन-मान, मर्यादा का
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश जाती में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जावें।
वह शक्ति हमें दो दया निधे,
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें,
पर सेवा पर उपकार में
हम निज जीवन सफल बना जावें।।
प्रार्थना 6
जब कोई नहीं आता , मेरे गुरुवर आते हैं --2हर पल हर दिन गुरूजी मेरे साथ आते हैं ।
जब कोई --------
मेरी नइया चलती है, पतवार नहीं चलती --2
किसी और की अब मुझको दरकार नहीं होती --2
मैं डरता नहीं जग से गुरु साथ आते हैं ,
हर पल हर दिन गुरूजी साथ आते हैं ।
कोई याद करे इनको दुःख हल्का हो जाये ,
कोई भक्ति करे इनकी ये उनके हो जाएँ ,
ये बिन बोले सबकुछ पहचान जाते हैं ।
हर पल ---------
ये इतने बड़े होकर सबसे हैं प्यार करें ,
भक्तों के दुःख पल में स्वीकार करें
हर भक्तों का कहना ये मान जाते हैं ।
हर पल हर -------------
प्रार्थना 7
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें।
दूसरों की जय से पहले,खुद को जय करे।
मुश्किल पड़े तो हम पर इतना करम कर,
साथ दें तो धर्म का चलें तो धरम पर।
इतना हौसला रहे सच को कदम बढ़ें।
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें।
भेदभाव अपने दिल से साफ कर सकें,
दूसरों से भूल हो तो माफ़ कर सकें।
इतना हौसला रहे बदी से हम बचें।
दूसरों की जय से पहले,खुद को जय करेँ।
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें।