दीपक सा कर्म है जिनका
माँ की जिनमें ऋजुता है,
सागर-सा विशाल हृदय जिनका
पिता की सहृदयता है ।
पीढ़ियों को पढ़ाया जिनने
अब भी जो कर्म-निरत हैं ।
ऐसे गुरुवर को संग पाकर
मन-मयूर हर्षित-पुलकित है ।
माँ की जिनमें ऋजुता है,
सागर-सा विशाल हृदय जिनका
पिता की सहृदयता है ।
पीढ़ियों को पढ़ाया जिनने
अब भी जो कर्म-निरत हैं ।
ऐसे गुरुवर को संग पाकर
मन-मयूर हर्षित-पुलकित है ।
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