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जिंदगी

       जिंदगी जिंदगी फूल- सी है, कुदरत की गोद में खिलती है, मुस्कराती है, खुशबू से फिजा को महकाती है, और एक दिन बिखरकर, बसुन्धरा की ग...

Friday, March 30, 2012

पर्यावरण को मत छेड़

पर्यावरण को मत छेड़ ,


परिणाम बुरा होगा


मेघ करेंगे आँख मिचौली ,


तेजाबी वर्षा होगी,


अकाल पड़ेंगे वर्षों -वर्षों तक


बसंत में पतझड़ होगा


पर्यावरण को मत छेड़ ,


परिणाम बुरा होगा ॥


तू रोगी होगा, होगा बहरा ,


तेरी संतति कभी बांध सकेगी सेहरा ,


होंगे वे लूले और लंगड़े,


कभी होंगे मोटे तगड़े ,


निज कृत्य का अंजाम बुरा होगा


पर्यावरण को मत छेड़ ,


परिणाम बुरा होगा


पृथ्वी की तपन बढेगी ,


पर्वतों -ध्रुवों की बर्फ गलेगी ,


उफनायेंगे जल सिन्धु ,


परिणाम प्रलय होगा


पर्यावरण को मत छेड़ ,


परिणाम बुरा होगा ॥


आयेंगे भूकंप ,फटेंगे ज्वालामुखी ,


होगा मृत्यु का तांडव नृत्य


स्वच्छ वायु , निर्मल जल को तरसेगा ,


ऐसा मत कर कुकृत


पर्यावरण को मत छेड़


परिणाम बुरा होगा ॥

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