त्योहार क्यों आते हैं?
त्योहार क्यों मनाते हैं?
हमें त्योहार कैसे मनाना चाहिए?
शायद हम भूल गए हैं।
इसीलिए तो
होली में केमकिल से युक्त रंग का प्रयोग करते हैं।
दीपावली में पटाके चलाकर पयार्वरण को प्रदूषित करते हैं।
और अपने को अच्छा मानते हैं।
तर्क देते हैं ,
साल में एक बार त्योहार आता है,
एक दिन में-
कितना प्रदूषण हो जाएगा,
कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा,
बिना रंगों की होली,
बिना पटाकों की दीवाली,
क्या मनाई जा सकती है?
बात में दम है?
नहीं,
रंग ही खेलना हो तो
प्राकृतकि रंग का प्रयोग किया जा सकता है,
इससे हम और हमारी धरती माता
दोनों सुरिक्षित रह सकते हैं।
जल और जमीन दूषित होने से बच सकते हैं।
दीपावली,
दीपों की वली अर्थात दीपों की माला
दीप जलाकर-
घर एवं बाहर को प्रकाशित कर सकते हैं,
पटाकों के जहरीले धुए से-
शोर से ,
प्रकृति को,
स्वयं को,
भावी पीढ़ी को,
बचा सकने में अपना योगदान कर सकते हैं।
चिन्तन करें,
मनन करें,
मेरे स्कूल के बच्चों के संकल्प के साथ जुड़ें,
पटाके न फोड़कर,
अपितु दीप जलाकर,
दीपावली मनाएगे।
व्यर्थ के कुतर्कों से अपने को बचाएगे।
यदि लक्ष्मी को प्रसन्न करना है
तो,
राम नाम मनि दीप धरु जीह देहरी द्वार!
तुलसी भीतर बहारों जौ चाह्सी उजियार!!
त्योहार क्यों मनाते हैं?
हमें त्योहार कैसे मनाना चाहिए?
शायद हम भूल गए हैं।
इसीलिए तो
होली में केमकिल से युक्त रंग का प्रयोग करते हैं।
दीपावली में पटाके चलाकर पयार्वरण को प्रदूषित करते हैं।
और अपने को अच्छा मानते हैं।
तर्क देते हैं ,
साल में एक बार त्योहार आता है,
एक दिन में-
कितना प्रदूषण हो जाएगा,
कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा,
बिना रंगों की होली,
बिना पटाकों की दीवाली,
क्या मनाई जा सकती है?
बात में दम है?
नहीं,
रंग ही खेलना हो तो
प्राकृतकि रंग का प्रयोग किया जा सकता है,
इससे हम और हमारी धरती माता
दोनों सुरिक्षित रह सकते हैं।
जल और जमीन दूषित होने से बच सकते हैं।
दीपावली,
दीपों की वली अर्थात दीपों की माला
दीप जलाकर-
घर एवं बाहर को प्रकाशित कर सकते हैं,
पटाकों के जहरीले धुए से-
शोर से ,
प्रकृति को,
स्वयं को,
भावी पीढ़ी को,
बचा सकने में अपना योगदान कर सकते हैं।
चिन्तन करें,
मनन करें,
मेरे स्कूल के बच्चों के संकल्प के साथ जुड़ें,
पटाके न फोड़कर,
अपितु दीप जलाकर,
दीपावली मनाएगे।
व्यर्थ के कुतर्कों से अपने को बचाएगे।
यदि लक्ष्मी को प्रसन्न करना है
तो,
राम नाम मनि दीप धरु जीह देहरी द्वार!
तुलसी भीतर बहारों जौ चाह्सी उजियार!!
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